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आशीर्वचन
कहानी जीवन चेतना की एक निर्मल तरग है, जिसमे अन्तर्जगत की दिव्य व भव्य अनुभूतियाँ रुपायित होकर लहराती है । जिसके प्रत्येक चरण मे, प्रत्येक ध्वनि मे और प्रत्येक शब्द मे पवित्र प्रेरणा अठखेलियाँ करती है । जिसमे विचारो का वेग होता है, अनुभूति का आलोक होता है और सवेदना की स्निग्धता होती है । ऐसी कहानियाँ सदा-सर्वदा अमर होती है । महाकाल का क्रूर प्रभाव भी उसे प्रभावित नही कर सकता इतिहास के पृष्ठो पर और जन- - जिह्वा पर वे स्वर्णाक्षरो की भाँति चमकती रहती है ।
जैन आगम व आगमेतर साहित्य मे इस प्रकार की कहानियाँ लबालब भरी है, जिनमे जीवन का शाश्वत सत्य है, विमल- विचारो की धडकन है, आचार का स्पन्दन है, अनेकान्त का अनुवन्धन है और उच्च सस्कारो का अजून है ।
श्रमण भगवान महावीर अपने पीयूषवर्षी प्रवचनो मे जहाँ दर्शन सम्बन्धी गम्भीर चर्चा करते थे वहाँ आचार सम्बन्धी सरल मार्ग भी प्रस्तुत करते थे, जहाँ गणित सम्बन्धी जटिल पहेलियो को बुझाते थे, वहाँ पर कथाओ के माध्यम से धर्म मर्म को प्रकट करते थे । भगवान महावीर के निर्वाण शताब्दी के सुनहरे अवसर पर जीवन और दर्शन सम्वन्धी ग्रथों के साथ राष्ट्रभाषा हिन्दी मे भगवान महावीर द्वारा कही गई कथाएँ भी लिखी जाये - यह मेरा विचार था । मेरे विचार को मेरे प्रिय शिष्य देवेन्द्र मुनि ने आचार का रूप प्रदान किया तदर्थ मुझे हार्दिक आह्लाद है । मुझे ये कहानियाँ पसन्द आयी है, मुझे आशा ही नही, अपितु दृढ विश्वास है कि पाठको को भी ये कथाये पसन्द आयेगी ।
देवेन्द्र मुनि पूर्ण स्वस्थ रहकर जैन साहित्य की अत्यधिक सेवा करे । साहित्य की प्रत्येक विधा में वह सुन्दर से सुन्दर साहित्य का निर्माण कर अपनी प्रवल प्रतिभा का परिचय दे यही मेरा हार्दिक आशीर्वाद है ।
मादडी - सदन
दीपावली पर्व
२५००वा वीर - निर्वाण दिवस
दि० ३-११-७५
- पुष्कर मुनि