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________________ उपसर्गजयी कामदेव आत्मा अभय है । यदि धर्म मे दृढ आस्था हो और मनुष्य साधना के पथ पर पूर्ण निष्ठावान होकर रहे तो उसके आत्मप्रदेश में कोई भी भय प्रवेश नही पा सकता। ___ अंग देश मे चम्पा नाम की एक नगरी थी। वहाँ के राजा का नाम जितशत्रु था । नगरी के बाहर पूर्णभद्र नामक एक चैत्य था। इसी नगरी में कामदेव नामक एक गृहस्थ रहता था । कामदेव सचमुच चम्पा नगरी का शृङ्गार था। भद्रा नाम की उसकी पत्नी थी । वह अत्यन्त रूपवती, सुकुमार एव पति पर श्रद्धा रखने वाली थी। कामदेव ऋद्धिसम्पन्न व ऐश्वर्यशाली था। उसके पास अठारह करोड स्वर्ण मुद्राएँ थी तथा दस-दस हजार गायो के अनेक गोकूल थे। अतुल धन-सम्पदा तथा गोवन का वह स्वामी था। उसके जीवन मे कोई अभाव नही था । भगवान महावीर विहार करते हुए एक वार चम्पा नगरी मे पधारे । उनके आगमन की बात जानकर सहस्रो नागरिक हर्पित होकर उनके दर्शन करने निकले । कामदेव ने भी इतनी भीड को पूर्णभद्र चैत्य की ओर जाते देखा तो जिज्ञासावश अपने अनुचरो से वस्तुस्थिति का ज्ञान कर वह भी लोगो के साथ चल पड़ा। भगवान के अमृत-वचनो का उसके हृदय पर ऐसा प्रभाव पडा कि कामदेव ने श्रावक के वारह व्रत ग्रहण कर लिए। उसकी पत्नी भद्रा ने भी एक मच्ची पति-अनुगामिनी की भॉति उन व्रतो को अगीकार किया ।
SR No.010420
Book TitleMahavira Yuga ki Pratinidhi Kathaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1975
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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