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महावीर युग को प्रतिनिधि कथाएँ किन्तु पहरेदार सन्तुष्ट नहीं हुए, भला ऐसी अंधेरी आधी गत में भी कोई भिक्षा लेने जाता है ? इस समय तो कोई चोर ही घर से बाहर निकलता है।
ओर विद्याध्ययन कर राजपुरोहित का पद प्राप्त करने की महत्त्वाकाक्षा लेकर घर मे चले कपिल पण्डित को कारागार में बन्द कर दिया गया।
___ क्या मे क्या हो गया ? कहाँ को चले थे, कहाँ जा पहुँचे ? उद्देश्य या था, ओर प्राप्ति क्या हुई ? महापण्डित काश्यप का पुत्र कारागार मे ? साधारण चोर-उचक्को, शराबी-लम्पटो और खूनी हत्यारो के बीच कपिल ब्राह्मण ? हे भगवान । तूने यह क्या दिन दिखाया ? मेरी बुद्धि को क्या हो गया? प्रेमिका की मुस्कान मे माता के ऑम भूल गया? हाय, यह मेग कैमा अध पतन हो गया?
मोचता-मोनता भोला ब्रह्मचारी बडा दुखी हुआ। उसकी मूच्छित आत्मा जैसे महमा जाग पडी ओर उसे धिक्कारने लगी--धिक्कारती ही चली गई।
राना प्रमेनजित अपराधियो का न्याय स्वय ही किया करते थे । प्रात काल मनी अपराधियों को जब राजा के समक्ष उपस्थित किया गया ता पिल ब्राह्मण की स्थिति विचित्र थी। लज्जा के मारे उसकी आखे फार ही न उती थी। पश्चाताप मे उसका हृदय जला जा रहा था।
नीर-दीर का विवेक जो न कर सके वह राजा ही क्या ? प्रसेनजित की दृष्टि तीव्र थी। उसने एक ही नजर में भांप लिया कि कपिल अपरात्री नहीं हो सकता । वह बेचाग किमी श्रम में फम गया है। मम्फारवान युवा दिवाई देता है । उन्होने पूछा ---
कौन हो तुम? किमलिए गत मे निकले ये ?"
महागात प्राह्मण पुत्र है । भिक्षा लेने निकला था। पहरेदागे । चोर मानकर मुझे पर लिया । म निरपराध है।"
नत्र व हो । रोगे तो नामा मिलेगी। सट दोगे तो
राजा
र दण्ड तो अब आपके हाथ में है। गोदाम