________________
त्याख्यानी चारिभेद मंज्वलन तीनन वनोकषाय जानिये। एकेंद्री विकलव्य था वर=प्राताय न दोन सूक्ष्म औ साधारण जीवनको मानिये। निद्रानिद्राप्रचला परस्यानग्रद्विनीतीने महाघोटीक वह नठानीयै । नरपसुगतिमान पूर्व प्रतिचार नौमगुन थानक में छत्तीसभा निये। ८५। जिनवानीकेप दे की संख्या। सवैया। सोलेस चौतीस करे। र लाख तिरासी उशाहत रसेश अवनीशी र राम्री । इक्यावन को डि-आठला पसहसचौरासी छे से सादे इकईसए सी लोकपखी ये ताको पद एक जोर इक सोबारे किरो र तेरा सोला ष स हत अठावन देषिये। पंचपदएते सन द्वादशांग जिनवा निवेदोमन लायभेद ग्यान कैौविसे दिये। च्६। अथ चौदागुरा स्थानकटप र सत्तावन शाश्रवद्दारकथन ॥ सवैया३॥ः पलिल पांचो मिथ्यात्तदुजे नेतानवेधी ग्यार हम्प्रतप्रत्याख्यानीपा चौक है। तीन वेदती नसञ्चलन नये लोभ दशम सत्य उभैवच नमनवारक है। रिकिय को प्रप्रत्याख्यानी च स वचायच्या हा एक छूटैघट हास्य-पाटले लहै। सनिनभयवचन -प्रोट्) रिक तैरै मिश्रकारमा न चार गुणस्थानवर दहै। छ। चौदै गुणा स्थान विषैप्राववेधतथाउदै विवरण | मवैया३१९॥ नरक आावपहलेवं धउदैचौथेही