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३८ ॥ प्रथ अढाइ द्वीप जोतिस संख्याकथन | कवित। एक चंद्र एकसूर असा सीग्रहन तत्र अठाईसव याना धनास विसह सय चहत र नासेको डा के डीत्तारे जाना इक सो वत्ती | सचंद्रयही विधिअढाई दीप मरवान सवचे त्यालेप्रतिमामंडित वंदनकरोजो रिजुग पाना ३८ प्रथमायुकर्मके वध के भेद कविता - आवयंसपैस ठसे इकस ठिइव ई समसत्यासीजांना सातसतक गुन तीस दोयसैते तालीत क्या सीमाना सत्ताईस और नौतीन एक पाठमाभेदवयांन नौमी अंतकालमे वांधे पगलीगतिकी - पाव निंदान |४०| अथसत्तावन जीव समासकथन। भूजल पावक वायु नित्तउत्तर साधारना सूक्ष्मवाद रकरत होतदविदस उचारन। सुप्रतिष्टव्यप्रतिष्ट मिलत है। देयरखाने। परजच्पपरजअ लब्धगुनत व्यालीस वयाने गुनवे ते चौइंद्री त्रिविधिसख एक पंचासमनि मनसहित रहित तिहूभेद सो सत्तावनधरिदयामना४९॥ अथव्यनागावै जीवसमा सकयनास विया ३१ । इक्यावन थान जीव यावर विकलत्रय के गर्भज दोतीन समर्थन गए है। पां चैसैनी आपसे नीजल थलचानमचारी भोगभूमिषेचर दोदो पाए है। दो दो नारकी सुदे