________________
निन्या वै को डि निचे लाख सात हजारच्या रसै अ सीमुनि मुक्तिपधारेतिनकूं। मधे महामर्घनिर्व पामीति स्वाहाः॥॥॥ हनिमघाती जिनराय चोच किसन फागुण विखे जिजूंचर्ण गुन गायमो बस मेदय की गरगार्ड हौंसमेदसियर पर्वत से नी मोहन कुद दर्शक फल को डिउपवास पद्मप्रभुती ये कर नियां वै को डि सियासी लाख विद्यालीस हजार सात से सताईस मुनिमुक्तिपधारे जिनका अर्धमहाप्रर्धनिर्वियामीति स्वाहा॥ भाधी हनिघाती निध्मघाती निर्वाण का गुण हा द सीर नही। जजुंमो ष क स्पा गागरा सुरासुरपदजं । उही संमेदसियर पर्बत सेती निजेरनामर्कुट र रस कोडि उपवास मुनिसुव्रत तीर्थ कर निन्यानवे को डाको डि सि त्यागावै को डिनो लाख नो से निन्यावे मुनिमुक्तिपधारे तिन कुंम पे महाप्रचेनिर्वपामी ति स्वाहा ॥ ॥ १५॥ सेय कर्महनिमो ॥ फागु सुकल जुसत मीज जूगुणन के को या ॥ गए संमे दा चलथ की। उड्रीस मे द सियरपर्वत सेती ललितप टकुट गा फल सोला लाय को डिउपवास अर श्री चंद्रप्रभतीर्थकर चौरासी मउबवहत्तर कोडि असी लाया।। ८४५५५॥ मुनिमुक्ति पधारे तिन कूं।