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जिजै ॥ मे जनि हंगुण गाया हीं स मे द सियरसे तीसिद्धवरकुंट दर्शफल बत्री को डिम्ब मजि तनाथतीर्थ कर एक मडव प्रसी को डिचौवन लाखमुनि मुक्ति पधारेतिन कुंअर्ध महान घे निर्वपामीति स्वाहा ॥ जुगल नागसा रेप्रभुपार्श्वनाथ जिनराया सावण सुदिसाने दिवस | ल है मुक्ति सुखजाय। उही समे दसिय सेती सुर्भगभ दूकुंददर्श फल को डिउपना स श्रीनाथ तीर्थंकर पी चसे छत्तीस उप बॉस : श्री पार्श्वनाथतीर्थ करपांच से छत्तीसमु निसहित मोक्षपधारेः "मौर चौरासी लाख मुनिर "ओरमोय पधारे तिनकूं प्रर्षे महा मधे निर्वपा मीति स्वाहा वर्षे माया हनिमघाति सिवचनः चतुरदशी वैशाख वदो ज जूं मोक्षक ल्पा गये संमेदाचा लय को उहाँ स मे दसिय रपर्वत सेती मित्र धरनामा कुंट दर्शक फल डिउपवास | अरनमी नाथ तीर्थंकरन व कोडा कोडिएक मडव पें तालीस लाख सात हजा सेवियालीस मुनिमुक्ति पधारे तिनकूंप्र मर्च निर्वपामीति स्वाहा । निमोषि चैत प्रमावससियगरा मैज जिहुंच
सर्वकर्मह