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________________ ૫૪ महावीर : मेरी दृष्टि में की तरह प्रमाणित नहीं किया जा सकता कि कुंआरी लड़की से कोई पैदा हो सकता है, जिससे पुरुष का सम्पर्क न हुआ हो । बाहर की दुनिया की यह घटना ही नहीं है । बाहर की दुनिया में किसी कुंआरी लड़की से कोई लड़का कैसे पैदा होंगा। लेकिन जिन्होंने इस पर जोर दिया है, उनकी दृष्टि बड़ी गहरी है | वे भीतर की घटना को ही कह रहे हैं कि जीसस जैसा बेटा अत्यन्त कुंआरी आत्मा से ही जन्म ले सकता है, अत्यन्त 'इनोसेण्ट', भोली । कुंआरा शरीर नहीं, कुंजारी आत्मा - कुंआरे चित्त से । और यह भी हो सकता है कि शरीर कुंभारा हो मोर चित बिल्कुल कुंआरा न हो। इससे उल्टा भी हो सकता है कि शरीर कुंभारा न हो मोर चित्त बिल्कुल कुंआरा हो । जीसस जैसे व्यक्ति का जन्म वर्जिन गर्ल से ही हो सकता है, कुंआरी लड़की से ही हो सकता है । यह इतिहास में नहीं है । लेकिन इतिहास भगर सिद्ध भी कर दे तो नुकसान ही पहुंचाएगा। यानी मैं मानूंगा कि यह बात अप्रमाणित हो रहनी चाहिए कि जीसस जैसे व्यक्ति का जन्म एक कुंआरे मन से होता है । और यदि किसी मां को जीसस जैसे बेटे को जन्म देना हो तो उसके चित्त का अत्यन्त कुंआरा होना जरूरी है और कुंजापन का कोई सम्बन्ध शरीर से है ही नहीं । शरीर तो यन्त्र है । कुंआरापन तो आन्तरिक मनोदशा है । अब जैसे, महावीर के पैर को सर्प काट लेता है और दूध बहता है । ईसे किसी भी ऐतिहासिक की तरह से, वैज्ञानिक की तरह से सिद्ध नहीं किया जा सकता । करने वाले करते हों, पर गलत करते हैं । वे महावीर को व्यर्थ करवा देंगे । और जो बात है, जो भिथ है, जो गाथा है, वह खो जाएगी। बात बहुत I " ओर है। इस बात में किसी चित्त भाव पर ही ख्याल है । सर्प भी काटे, जहर भी महावीर को कोई दे, मारने को भी कोई आ जाए तो भी महावीर का मन मां से भिन्न नहीं हो पाता है। दूध निकलने का कुल मतलब इतना है कि महावीर का मन मातृत्व से भरपूर है, मां से अन्यथा वह नहीं हो सकते । उनका होना ही मातृत्वमय है । उनके भीतर से कुछ और नहीं निकल सकता है सिवाय दूध के । लेकिन, न तो शारीरिक अर्थों में, न तथ्य और इतिहात के अथों में, इस बात का कोई मूल्य है । अब, जैसे हम, जो भी हिसाब करने जायेंगे - और हम दोनों तरफ एक जैसे लोग होते हैं - कोई कहेगा यह बिल्कुल सच है; कोई कहेगा यह बिल्कुल गलत है। महावीर के पैर से दूध कैसे निकल सकता है ? बात ही झूठी है । और दूसरे व्यक्ति यह सिद्ध करने की कोशिश करेंगे किसी तरकीब से कि पैर से दूध निकल सकता है ।
SR No.010413
Book TitleMahavira Meri Drushti me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherJivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai
Publication Year1917
Total Pages671
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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