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महावीर : मेरी
बहुत से प्राणी है, बहुत सी योनियां हैं, जिनके पास मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो देख सकता है लेकिन निष्क्रिय है। वो उन प्राणियों में बाँखें पैदा नहीं हो पाई है। ऐसे भी प्राणी है जिनके पास कान नहीं है। हिस्सा है जो सुन सकता है लेकिन निष्क्रिय है। इसलिए कान पैदा नहीं हो पाए । मनुष्य की पांच इन्द्रियाँ हैं अभी क्योंकि मस्तिष्क के पांच हिस्से सक्रिय है। शेष बहुत बड़ा हिस्सा निष्क्रिय पड़ा हुआ है। अब वैज्ञानिकों को भी ख्याल में आया है कि वह जो शेष हिस्सा निष्क्रिय पड़ा है उसमें से अगर कुछ भी सक्रिय हो जाए तो नई इन्द्रियां शुरू होंगी। अब जिस आदमी ने कभी प्रकाश देखा ही नहीं है वह कल्पना ही नहीं कर सकता कि प्रकाश कैसा है और जिसने ध्वनि नहीं सुनी वह कल्पना भी नहीं कर सकता की ध्वनि कैसी है ? हम समझ लें कि एक गांव हो जिसमें सब बहरे हों तो उस गांव में ध्वनि की चर्चा भी नहीं होगी। और अगर उन बहरों को कोई किताव मिल जाए जिसमें लिखा हो कि ध्वनि होती थी, या कहीं ध्वनि होती है तो वे सब हंसेंगे कि यह कैसी बात है। ध्वनि, यानी क्या ? ध्वनि कहाँ है-किस जगह है ? हम कहां ध्वनि को पकड़ें, कहाँ ध्वनि हमें मिलेगी ? उनके सब प्रश्न संगत होते हुए भी व्यर्थ होंगे।
हमारे मस्तिष्क के बहुत से हिस्से हैं जो निष्क्रिय हैं। और अगर वे सक्रिय हो जाएं तो जीवन और अस्तित्व की अनन्त सम्भावनाओं से हमारे सम्बन्ध जुड़ने शुरू हो जाएंगे। जैसे कि तीसरी बांस की बात निरन्तर हम सुनते हैं। वह . अगर सक्रिय हो जाए, वह हिस्सा जो हमारी दोनों आंखों के बीच का निजिय पड़ा है सक्रिय हो जाए तो हम कुछ ऐसी बातें देखना शुरू कर देंगे जिनकी हमें कल्पना ही नहीं है। हवाई जहाज में अगर भाप बैठकर इंजन के पास गए हों तो मापने रागर देखा होगा जो सौ मील या डेढ़ सौ मील आगे तक के चित्र देता रहता है। इसलिए चालक को हवाई जहाज के भीतर बैठकर बाहर देखने की कोई जरूरत नहीं क्योंकि हवाई जहाज इतनी गति से जा रहा है कि अगर चालक देख . भी ले कि .सामने हवाई जहाज है तो भी उसे बचाया नहीं जा सकता टकराने से। क्योंकि जब तक वह बचाएगा तब तक वह टकरा ही जाएगा। गति इतनी तीव्र है। अब तो उसे डेढ़ सौ-दो सौ मील दूर को ही चीजें दिखाई पड़नी चाहिएं। दो सौ मील पर उसे दिखाई पड़े कि बादल हैं तो तभी वह बचा सकता है। और बचाते-बचाते वह दो सौ मील पार कर जाएगा, तभी वह बचा पाएगा, और बादल के बागे, नीचे या ऊपर हो जाएगा। तो रागर है जो दो सौ मील दूर से देख रहा है कि उसके दो सौ मील माने