________________
महावीर का जीवन संदेश
श्रार्येतरो मे आर्यों से भिन्न सपूर्ण सृष्टि आ सकती है । जो मनुष्य इस्लाम को स्वीकार नही करता, वह मुसलमानो की दृष्टि मे काफिर है । जो मनुष्य यहूदी नही है उसे यहूदी लोग 'जेन्टाइल' मानते है । 'जेन्टाइल' सब अपवित्र और प्रशुचि माने जाते है । ईसाइयो की दृष्टि मे जो ईसा मसीह की शरण मे नही गया है वह 'हीन' है, उसका जीवन ही पापमय है । दक्षिण भारत मे लिंगायत लोग होते है । वे मन्दिर नही बनाते, लेकिन शिवलिंग को गले मे बाधकर घूमते है जो लोग उनकी जाति के नही होते उन्हें वे 'भवी' कहते है । 'भवी' मोक्ष के अधिकारी नही होते । वे सव भव-सागर के प्रवाह मे बह जाने वाले है । ग्रीक लोगो मे भी यही वृत्ति पाई जाती है। जो लोग ग्रीक नही है वे सब असस्कारी 'बार्बेरियन' है ।
1
42
इस सारी मनो- रचना के पीछे एक प्रकार का समूह धर्म है । आप समूह के धर्म को माने, तो आपका उद्धार होगा। समूह से बाहर के सब लोग जगली, गदे, मैले अथवा विचित्र है । ऐसा समूह-धर्म यदि 'जन्म से जाति' के सूत्र को मानने वाले हमारे सनातनियो मे हो, तो उसे समझा जा सकता है । यहूदियो मे भी उसे समझा जा सकता है । लेकिन जैन धर्म मे वह क्यों होना चाहिये ? फिर भी जैन को भी इस समूह धर्म की छूत लगी है। महाराष्ट्र के जैन शुरू-शुरू मेनो सनातनियो की तरह ही रहते थे । वे गणपति की पूजा करते थे और छुप्राछूत भी पालते थे । शास्त्र के जानकार किसी मुल्ला के मिलने पर जिस प्रकार मुसलमानो मे धर्म का जोश पैदा हो जाता है, उसी प्रकार किसी जैन पति के मिलने और कहने से हमारे यहाँ के जैनो ने गणपति का उत्सव मनाना छोड दिया । तभी हमे पता चला कि जैन नाम का कोई स्वतंत्र पथ है । उस समय तक हम इतना ही जानते थे कि जो लोग रात मे भोजन नही करते और अपने मन्दिर मे दूसरो को जाने नही देते वे जैन है । यह जैन और जैनेतर का भेद 'जैनेतर दृष्टि से जैन' नामक पुस्तक मेरे हाथ मे आई उस समय फिर से ताजा हो गया ।
सामान्यत धर्म दो प्रकार के होते है सामाजिक धर्म और मोक्ष धर्मं । सामाजिक धर्म मे इहलोक और परलोक का विचार तो होता है, किन्तु मोक्ष का इतना आग्रह नही होता - उतावली तो होती ही नही । सनातनिय मे केवल सन्यास - धर्म मे ही मोक्ष की उत्कठा दिखाई देती है। बाकी सब को भुक्ति (भोग) भी चाहिये और यथासमय मुक्ति (मोक्ष) भी चाहिये । सनातनी लोग दूसर को अपने धर्म मे निमंत्रित नही करते, पारमी भी नही करते और यहूदी भी नही