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महावीर का जीवन संदेश
पश्चात्ताप से पानी-पानी हो जाना स्वाभाविक है, योग्य है । लेकिन भगवान् को उसके कर्त्तव्य की याद दिलाना और लेनदार पैसे वसूल करता हो वैसे भगवान् से क्षमा वसूल करना, अच्छा नही लगता । लेकिन भक्त सब तरह के होते है और लोगो को भी तरह-तरह के स्तोत्र भाने है । जो हो, क्षमापन का वायुमण्डल औपचारिक, कृत्रिम और यान्त्रिक न बने तब तक ही उसका कुछ उपयोग है । जो एक दिन के लिये बताया गया है, वह हमेशा के लिये रहे, यही है अन्तिम उद्देश्य ।
१५ सितम्बर १९५९