________________
महावार का अन्तस्तल
कर सकती है जब सामान्य साधना का काम पूरा कर लिया जाय या प्रारम्भ से ही विशेष साधना की तरफ बढ़ा जाय। . . देवी-सामान्य साधना का काम पूरा करके तो विशेष । साधना की तरफ क्या बढ़ा जायगा ? आपने ही तो उस दिन विष्णुशर्मा से कहा था कि जीवन की थकावट ले पैदा होनेवाले संन्यास को आप नहीं चाहते। . .
मैं-यह भी ठीक है। पर ऐसे भी मानव हो सकते हैं जो सामान्य साधना का काम पूरा करके भी न थके। तन के वृद्ध होने पर भी वे मन के युवा रहें। . . . .
देवी-पर यह हर एक के.वश की बात नहीं है।
मैं-पर यह हर एक के वश , की बात है कि वह विशेष साधना के लिये मानव निर्माण करके दे दे। तुम प्रियदर्शना का निर्माण करते करते अगर थकजाओ तो भी तुम उसे विशेष 'साधना के योग्य तो वना ही सकती हो। तुम्हारी इस साधना का मूल्य कुछ कम न होगा, विशेषतः उस अवस्था में जब कि मेरी सामान्य साधना का बोझ भी तुम अपने ऊपर लेलो। 1. अभी तक प्रियदर्शनो बारी बारी से हम दोनों । के मुंह की तरफ देखती थी जब मैं बोलता था त मेरी ... तरफ और जयं देवी बोलती थीं तब देवी को तरफ । वह .. बच्ची गम्भीर चर्चा तो क्या समझती पर मुखमुद्रा को पढ़ने की चेष्टा अवश्य करती थी ! मेरी बात सुनकर जब देवी के मुखमण्डल पर चिंता छागई तब उसने माता की वेदना को पढ़ा और वह देवी के गले में हाथ डालकर छाती स चिपट गई। . देवी ने भी उसके कपोल चूमकर उसे दोनों हाथों स . जकड़ लिया। . . . . . . .
. नारी की साधना वात्सल्य के कारण कितनी रसमयी है इसकी झांकी मां बेटी के आलिंगन में दिखाई दे रही थीं।......