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महावीर का अन्तस्तक
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दुःखी होते हुए होता है वह बाल मरण है, वह बुरा है।
. स्कंद को इससे बहुत सन्तोप हुआ। उसने कहा-भगवन्, में पंडित मरण मरना चाहता है इसलिये आपके शिष्यत्व में श्रमण धर्म स्वीकार करता हूं। ____ मैंने कहा-जिसमें तुम्हें सुख हो वही करो।
८८-जमालिकी जुदाई २७ चिंगा ६४५४ इ. सं.
छत्रपलास चैत्य से निकलकर में श्रावस्ती आया । काष्टक चाय में ठहरा । यहां नान्दनीपिया तथा उसकी पत्नी आश्विनी और सालिहीपिया और उसकी पत्नी फाल्गुणी ने उपासकता स्वीकार की । वहां से विदेह की तरफ प्राया और वाणिज्य ग्राम में तेईसवां वर्षावास पूर्ण किया । वहां से ब्राह्मणकुंड आया। यहां आज एकान्त में जमाल मेरे पास आया और. बोला-अब मैं अपने संघ के साथ अलग विहार करना चाहता हूं भगवन् !
मैं सो किसलिये ? ?
जमालि-इसालये कि संघ में मेरा उचित मान नहीं है। मैं आपका जमाई हूं, कुलीन हूं, ज्ञानी हूं, पर मुझे अभी तक केवली घोषित नहीं किया गया, न गणधर का पद दिया गया।
में केवली होने का सम्बन्ध अपने आत्मविकास से है, मेरी नातेदारी से नहीं। और गणधर होने के लिये विशेषमात्रा में श्रम और लगन चाहिये।
जमालि-तो मेरे आत्मविकास में क्या कमी है ?
मैं-अपने को केवली धोपित कराने के लिये जो ला मेरे ऊपर इतना जोर डाल रहे हो यही कमी क्या कम है ।केवली