________________
२६८ ]
महावीर का अन्तस्तल
पाटन करें, स्थूल झुट न बोले, स्थूल चोरी न करें, व्यभिचार न करें, परिग्रह का परिमाण रक्खें । इस प्रकार जो अणुबनी होगा वह मांस न खाया. मद्यमान न करेगा। श्रमण न होने पर भी मनुष्य बहुत कुछ संयम का पालन कर सकता है और अपन जविन को सफल बनासकता है। ।
मेरे इस प्रवचन का श्रोताओं पर काफी प्रभाव पड़ा। अभय कुमार ने अणुव्रत लिये, सुलसा ने भी अणुटत लिये, राजा अंगिक ने तथा और भी अनेक लोगों ने श्रद्धा प्रगट की। ८टुंगी ९४४४ इ. सं.
___ फल के प्रवचन से प्रेरित होकर राजकुमार मेघ आज श्रमण दीक्षा लेने आया । मालूम हुआ वह माता पिता से विवाद करके अन्त में अन्हें समझार अनुमति लेकर आया है। मैंने उसे श्रण दीक्षा ददी । हां, इसकी मनोवारी सम्हालने के लिये काफो सतर्क रहना पड़ेगा क्योंकि इसका राजकुमारपन उस समभाव के लाने में अड़चन डालेगा जो एक श्रमण के लिये आवश्यक है। खर ! उसकी मनोवैज्ञानिक चिकित्सा में कर लूंगा। मेरे प्रवचनों से प्रेरित होकर राजकुमार भी श्रमण बनने लगे यह शुभ शकुन है।
७२ - मनोवैज्ञानिक चिकित्सा ९टुंगी ९४४८ इतिहास संवत्
श्रमण संघ में कुल जाति का विचार नहीं किया जाता, और न पुराने वैभव का। केवल संयम और ज्ञान का विचार किया जाता है, सत्यप्रचार की उपयागिता का विचार किया जाता है । मेघकुमार श्रेणिक राजा का पुत्र है पर इसीलिये संघ में रसका स्थान कोई विशेष नहीं होजाता। संघ में इन्द्राति पादि उन विद्वानों का स्थान ही बहा रहंगा, जिनने अपनी
सतर्क रहना पड़ेगाहां, इसकी अनुमति लेकर पिता से आज