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महावीर का अन्तस्तल
के इस कमरे में बन्द कर दिया । आज तीन दिन में मुझे पता लगा और तुरन्त ही मैं बेड़ी कटवाने के लिये लुहार को लाने चला गया । मैं अपनी पत्नी की करतूत पर बहुत लज्जित हूं भगवन् 1
इतने में भीड़ में से एक मनुष्य निकला और वन्दना को पकड़कर जोर जोर से रोने लगा । चन्दना भी उसे देखकर रोने लगी। पीछे मालूम हुआ यह दधिवाहन राजा के रणवास का कंचुकी है, चन्दना को इसने गोद खिलाया है । चन्दना का मूल नाम वसुमती है। कंचुकी भी लूट किया गया था पर आज ही छोड़ दिया गया हैं |
यह समाचार शतानिक राजा को मिला । उसकी पत्नी मृगावती को भी पता लगा । मृगावती को मेरे विषय में बड़ी भक्ति होगई थी इसलिये मेरे अभिग्रह को पूर्ण सफल करने के लिये उसने चम्पापुरी में लूटी गई सब स्त्रियों को दासीपन से मुक्त करा दिया |
इस प्रकार मेरा अभिग्रह अन्याय के एक बड़े मारी अंश का परिमार्जन करासका 1
६४ - जीवासेद्धि
१८ इंगा ९४४३ इतिहास संवत्
श्रमण विरोधी वातावरण यद्यपि पूरी तरह शांत नहीं हुआ है फिर भी उसमें अन्तर बहुत आगया है । इतना ही नहीं अब श्रमण भक्त ब्राह्मण भी मिलने लगे हैं। साथ ही में यह भी समझ गया हूं कि श्रमण विरोध का ठेका सिर्फ ब्राह्मणों ने ही नहीं लिया है। मेरे ऊपर उपसर्ग करनेवालों में ब्राह्मणेत्तर ही बहुत है ।