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महावीर का अन्तस्तल
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जब उपवास करेंगे, गरम पानी पियेंगे, सफाई करेंगे तो कोई बीमारी किस दम पर रहेगी ?
मैंने हँसकर पूछा- अब तुम लोग किसी का धन तो नहीं मारते, जैसे उस बैल का मार लिया था ?
वे- नहीं महाराज, अत्र तो बहुत डरकर रहते हैं । मैं- अच्छा तो मैं उस यक्ष को समझा दूंगा, नहीं मानेगा तो पराजित करके भगा दूंगा। तुम सब जाओ ! मैं रातकों इसी मन्दिर में रहूँगा ।
मुँह पर चिन्ता का रंग पोतते हुए वे चले गये । मैं रातभर निर्भयता से सोया । पिछली रात मुझे बहुत से स्वप्न आये और में जागगया ।
प्रातःकाल जब लोग आये और सुनने मुझे जीवित देखा तब बड़ा आश्चर्य हुआ और प्रसन्न भी खूब हुए। यहां के ज्योतिषी ने स्वप्न का फल ऐसा बताया कि सारा गांव मेरा भक्त हो गया ।
मेरा यह चातुर्मास काफी निराकुलता से बीता ।
मेरे मन में यह वार वार आया कि यक्ष की कल्पितता का रहस्य इन्हें बता दूँ, पर यह सोचकर रहगया कि पहिले तो इनका अन्धश्रद्वालु हृदय विज्ञान की इतनी मात्रा पत्रा न पायगा, दूसरे यह कि यक्ष का भय निकल जाने से ये लोग फिर दूसरों का धन मारने लगेंगे । इसप्रकार इस तथ्य को असत्य समझ कर प्रगट न किया ।
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