________________
प्र. १२१ म. स्वामी के प्रतिवोध से चंडकौशिक का
क्या हुआ था ? प्रभु के वचनामृत सुनकर नागराज का क्रोध पानी-पानी हो गया। पाप का पश्चात्ताप किया। उसे जातिस्मरण ज्ञान हो गया। प्रभु से क्षमा मांगी। हिंसा का त्याग किया। पूर्व जीवन की घटनाएँ चलचित्र की भांति
उसकी स्मृतियों में छविमान हो उठीं । प्र. १२२ चंडकोशिक पूर्व भव में कौन था ?
अनेक जन्म पूर्व वह गोभद्र नामक एक तपस्वी श्रमण था। एक-एक मास का उपवास करता था। एक बार गोभद्र श्रमण भिक्षा के लिए जा रहे थे, मार्ग में उसके पैर के नीचे एक मेंढकी दवकर मर गई। तपस्वी गुरु के पीछे उनका एक सरल स्वभावी शिष्य चल रहा
था। प्र. १२३ गुरु से मेंढ़की की हिंसा देखकर शिष्य ने क्या
किया था ? उसने गुरु से मेंढ़की की हिंसा हुई देसी और देखा कि गुरु के मन पर उसकी कोई प्रतिक्रिया