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( ४२ )
प्र. ४५ नवकोटि किसे कहते हैं ? तीन करण और तीन योग
उ.
उ.
प्र. ४६ म. स्वामी ने दीक्षा ली तब किसको वंदना की थी ?
अनंत सिद्ध भगवंतों की ।
म. स्वामी दीक्षा के समय कौन-सा पाठ बोले:
थे ?
पाठ बोलकर नव कोटि से
करेमि भन्ते ! प्रत्याख्यान करके सामायिक चारित्र अंगीकार:
किया था ।
म. स्वामी ने दीक्षा के समय कितने व्रतं अंगी -- कार किये थे ?
प्र. ४७
उ.
तीन कररण-न करेमि, न कारवेमि, करंतंपि न समणुजारगामि ।
प्र. ४५
तीन योग-मरणसा, वचसा कायसा ।
,
(१) मन से करना नहीं (२) मन से कराना नहीं (३) मन से करने को भला जानना नहीं (४) वचन से करना नहीं (५) वचन से कराना नहीं (६) वचन से करने को भला जानना नहीं (७) काया से करना नहीं (८) काया से कराना नहीं ( 2 ) काया से करने को भला जानना नहीं ।