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________________ ( ३३८ ) राजा का नाम ४५ महासाल ४६ सिद्धार्थ देश-नगरी पृष्ठचंपा ४७ सेय "४८ संजय ४६ हस्तिपाल पाटलीखंड आमलकल्पा कपिलपुर अपापापुरो ० स्वच्छन्द रहकर इच्छानुसार उपद्रव करने वाले इन्द्रिय-रूप हाथियों को विज्ञान-रूपो रस्सी द्वारा - शील-रूप वृक्ष से बाँध दो ताकि महावत को अपने गंतव्य तक पहुंचने में कोई संदेह न रहे। ७ योगी इन्द्रिय-रूप सर्पराज के विष को, शान्त करने ___के लिए सर्वश्रेष्ठ ध्वनि-समूह ॐ का स्मरण करता है। • जिस योगी ने इन्द्रिय-रूप सिहों को सम्यग्ज्ञान-की__ रस्सी से बाँध कर वैराग्य-रूपी पिंजरे में फेंक दिया है, उसका पुरुषार्थ अप्रतिम है। जिसका शील-रूप वृक्ष इन्द्रिय-रूप हाथियों द्वारा ध्वस्त नहीं हुआ है, उसके हृदय में निर्मल ज्ञान का प्रकाश निरन्तर व्याप्त है।
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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