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इन्द्रभूति गणधर को आते देखकर आनन्द गाथापति प्रसन्न हुआ और वंदना करके बोला"भगवन् ! क्या गृहस्थ को अवधिज्ञान हो
सकता है ? प्र. ६१८ इन्द्रभूति ने आनन्द से क्या कहा था ? उ. ''हाँ गृहस्थ को अवधिज्ञान हो सकता है।" प्र. ६१६ इन्द्रभूति से प्रानन्द ने अवधिज्ञान के संबंध में
क्या कहा था? "भगवान् ! मुझे अवधिज्ञान हुआ है, जिसके द्वारा मैं पूर्व, पश्चिम एवं दक्षिण दिशा में लवण समुद्रके भीतर पांचसो योजन तक, उत्तर दिशामें चुल्ल हिमवंत पर्वत तक, ऊर्ध्वलोक में सौधर्मकल्प तक, तथा अधो दिशा में लोलुपच्चय नामक नरकावास ( रत्नप्रभा ) तक देख
रहा हूँ।' प्र. ६२० इन्द्रभूति ने आनन्द की बात सुनकर क्या
कहा था? उ. "आनन्द ! गृहस्थ को अवधिज्ञान होता तो
अवश्य है, पर इतना दूरग्राही नहीं होता जितना कि तुम बतला. रहे हो। तुम्हारा यह
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