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मृगावतीने अपने सतीत्व की, राजकुमार की और राज्य की सुरक्षा के लिए दीर्घदृष्टि से काम लिया। चंड प्रद्योत के प्रस्ताव का चतुराई के साथ उत्तर दिया। "उदयन अभी बालक है, मैं पति-वियोग में दुःखी हूँ, प्रजा भयभीत है। अतः आप हमारी सुरक्षाव्यवस्था कीजिये, सबको आश्वस्त होने के लिए समय दीजिए, आखिर हम जायेंगे
कहाँ ?" प्र. ३५५ चंडप्रद्योत ने मृगावती रानी के लिए क्या
व्यवस्था की थी ? चतुर महारानी के उत्तर से आशान्वित होकर चंडप्रेद्योत ने कौशंबी की सुरक्षा-व्यवस्था मजबूत कर दी। फिर वह स्वयं अवन्ती चला
गया, समय के इन्तजार में.......। प्र. ३५६ चन्ड प्रद्योत ने पुनः कौशंवी पर आक्रमण क्यों
किया था ? कुछ समय बीतने पर चन्डप्रद्योत ने मृगावती को अपना प्रणय पत्र भेजा। उत्तर में मृगावती ने सिहनी की भांति हुँकार के साथ