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कर बंदी बनाया था। इससे उसके उद्दाम बाहुबल एवं प्रचंड सैन्य बल की धाक पूरे
दक्षिण-पश्चिम भारत में जम गई थी। प्र. २६३ महाराजा उदायन ने किसको क्षमादान कर
मुक्त किया था? पर्युषण-पर्व पर संवत्सरी के दिन महारांज उदायनने बंदी चंडप्रद्योत से क्षमा याचना की और शुद्ध अध्यात्म द्रष्टि से क्षमादान कर
मुक्त कर दिया। प्र. २६४ उदायन के क्षमादान पर चडप्रद्योत ने क्या
कहा था ? उ. बंदी चंडप्रद्योत ने कहा- पर्युषण पर्व पर
आप मुझसे क्षमायाचना कर रहे है, पर मैं तो आपका कैदी हूँ, अपराधी हूँ, पराधीन से क्षमा-याचना कैसी? किसी को बंधन में
बांधकर कैदी बना लेना और फिर उससे . . क्षमापना करना:-यह कैसी क्षमापना ? यह
.... कैसी पर्वाराधना.?". .:.: प्र. २६५ चन्डप्रद्योत की बात सुनकर उदायेन के मन
पर क्या प्रभाव पड़ा? :: ....