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(२) अग्निभूति को " कर्मफल" के विषय में (३) वायुभूति को "जीव और शरीर एक है या भिन्न" के विषय में ।
(४) व्यक्त जी को "ब्रह्म ही सत्य है, पंचभूत प्रादि तत्र यथार्थ नहीं हैं" इस विषय में । (५) सुधर्माजी को "प्राणी मृत्यु पुनः अपनी योनि में हो उत्पन्न होता है" के पश्चात् इस विषय में ।
(६) मंडितजी को "बंध और मोक्ष नहीं है" के विषय में ।
( ७ ) मौर्यपुत्र को "स्वर्ग नहीं है" के विषय में ( 5 ) अंकपितजी को "नरक नहीं है" के विषय में ।
(e) अचल भ्राता को "पुण्य और पाप कोई तत्व नहीं, मात्र कल्पना है" इस विषय में । (१०) मेतार्यजी को "पुनर्जन्म नहीं है" के विषय में ।
(११) प्रभासजी को "मोक्ष नहीं है" के संबंध में । इन्द्रभूति, प्रग्निभूति और वायुभूति किस नगर के निवासी थे ?