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महारानी चेलना द्वारा यशोधर मुनि का उपसर्ग निवारण
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मुनि तन को हा! छेद छेद कर चीटी रुधिर पान करती थी । सम्यक्त्व शिरोमणि राज्ञि चेलना देख-देख आहे भरती थी ॥ किन्तु अतत कीडी दल को वडे यत्न से शीघ्र उतारा । भौचक्का सा रहा देखता श्रेणिक मुनि का गौरव सारा || ( १४१ )