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महावीर भगवान के विश्व व्यापी अमर सन्देश
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वीतरागता परम अहिंसा स्याद्वाद सर्वोदय ही । कर्मवाद निसगवाद है द्वादशाग वाणी मय ही ॥ पर द्रव्यो से भिन्न सर्वथा ज्ञान ज्योति हर चेतन है। स्वाभाविकता वीतरागता वैभाविकता बंधन है ।।
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