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धर्म के ठेकेदारों द्वारा रोका गया हरिकेशी चाण्डाल
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जब तरुण वीर वैरागी ने वन के प्रति कदम बढाया था । तव जन समूह दर्शक गण का मानो सागर लहराया था । इस जन समूह को चीर बढा वह हरिवेपी चाडाल वहाँ । पर मना किया रोका उसको था उच्च वर्ग का जाल वहाँ ॥ ( ११४)