________________
नवजात महावीर श्री के जन्माभिषेक की मंगल वेला
जो क्षीर सिन्धु के नीर-कलश स्वर्णिम सुरगण भर-भर लाते । इन्द्रो द्वारा धारावाही वे शिशु शिर पर ढारे जाते ॥ अभिषेक जिनेश्वर का होता दश शत्तक अष्ट कलशों द्वारा । संगीत नृत्य कौतूहल मय है दृश्य अलौकिक ही सारा ॥
(१०८)