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दन्दमुनि द्वारा रोडस कारण भावनाओं का चिन्तन
बहुश्रुत भक्ति प्रववन भक्ति आवश्यकपरहाि
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दर्शन विशुद्धि विनय
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कोवित छोडे (भिक्षण ज्ञानगयो
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अर्हत् केवली पाद-मूल मे भाई सोलह कारण । भावनाएँ जो पुन्य प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ है बन्धन || तीर्थकर पद की महिमा को गा न सके जव गणधर । सुरपति सरस्वती फणपति भी पूजे जिनको हरिहर ।
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शक्तितत्यागशक्तितस्तप