________________
श्रीगुणचंद महावीरच ० ८ प्रस्तावः
॥ ३११ ।
496
आपीडियपरियरु सो कुमार, जुज्झणहं लग्गु सो दढप्पहारु ॥ १२ ॥ सरकप्पियपक्खरतुरयघड्डु, सुसुमूरियवेरियरुडमरटु ।
जमु संमुहु किर जो खिव चक्खु, सो तक्खणि जायइ जगह भक्खु ॥ १३ ॥ गोऽवि भयवसकंपिराण, सोणेगरूव हूओ वेरियाण । लक्खिज्जइ वाणमुयं तु केम्य, जलधार सुयंतउ मेहु जैव ॥ १४ ॥ उच्चद्धजूडभडभिउडिभीस, तिक्खंडिय सत्तहुं सरहिं सीस । तमुदारुणरणकम्मेण तुड, ओइन्ननहंगणि तियसवंठ ॥ १५ ॥ अवरोप्परुपेल्लिरि सुहडसत्थि, नासणह पयट्टइ अइव हत्थ । विवरंमुहि सावत्थीए नाहि, पचहंत नररुहिरप्पवाहि ॥ १६ ॥ समरंगणि जोअइ जा कुमारु, संचिट्ठ रिउ अकयष्पहारु । ता पुत्र भणियविजाहरेहिं, अवहरिवि हरिसभरनिव्मरेहिं ॥ १७ ॥ उवणीओ खयरनरनायगस्स, हरिसससंतमुहपंकयस्स । अह आगमि सुदिर्णमि तेण, परिणाविओ कुमरु वसंतसेण ॥ १८ ॥
तुर्याशुनते
सुरेन्द्र
दत्तकथा-'
॥ ३११।