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________________ mammmmmIMRAarmace ओलोयणतरगयाए दिट्ठमिमं पावाए अणत्थमूलाए मूलाए, ताहे ईसाभरवित्थरंतदढकोवपाडलच्छीए. इत्यास वो चिय अचंतं तुच्छहिययाए चिंतियमेयाए इम-जं पुर्वि तकियं मए आसि तमियाणि पयडत्तगमणुभाइ विगपरिहीणं, कहमन्नहा जणगत्तं वायामेत्तेण जंपिऊण पुरा सेट्ठी इमीए दइओब केसपासपि संजमइ, ता जावजागि समुझिऊणं न पणइणिपयंमि ठवेइ सेट्ठी एवं ताव उवायं करेमि अहं, इय सुविसुद्धपि जणं विवरीयं नियम कलिऊण मूला मूलाउ चिय उद्धरिउं चंदणं महइ । अह पक्खालिय चलणे खणं कयवीसामे बाहिं नीहरिममि । तणावहे ईसावसुप्पन्नमच्छराए सेटिभजाए वाहराविऊण हावियं मुंडावियं चंदणाए सीस, बहुं ताडिऊण लोहरा। कलाए चरणे निगडिऊण य पक्खित्ता एसा दूरयरमंदिरंमि, दिन्नं निविडकवाडसंपुडं, भणिओ य परिषणों को सेद्विणो इमं वइयरं साहिस्सइ तस्सवि एस चेव दंडो मए कायद्यो, अओ बाढमापुच्छमाणेऽवि सेट्टिमिन ) यवमेयंति पुणो पुणो पन्नविऊण गया सगिहं । विगालसमए य समागओ धणावहो, कहिं चंदणत्ति पुलियो परियणो?, मूलाभएण न सिढ़ केणावि, तेण नायं-पासायतले कीलंती भविस्सइ, एवं रयणीएवि पुच्छिया, सत्यापित तेण नायं-जहा पसुत्तत्ति, नवरं वीयदिवसेऽवि न दिट्ठा, तइयदिणे य अचंतमाउलचित्तस्स आपुच्छमाण सविण। NI पुणो जाव न कोइ साहेइ ताव जाया से आसंका-मा केणइ विणिहया होजत्ति, समुप्पन्नगाढकोवो भणि पदवी ६ अरे रे साहेह अवितहं तीसे पउत्तिं, अहवा भे सहत्येण मारइस्सं, जो एरिससुपउत्तडभाडंबरेण न मुणिता तुम्ही
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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