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सीए ण हवइ एसा सामन्ना, ता फलियधमियाणि अम्ह मणोरहपायवेर्णति चिंतिऊण एवं थोउमारद्वाईअजं विहडियनिविडदुहनिगड पविहाडिय [अज परपवरसुगर ] मंदिरदुवाराई ।
अजं चिय करकमललीण, सुहाई संसारसाराई ॥ १ ॥
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अजं चि तिहुयणसिहि, अम्हि पलोइय नाह ! । जं तुह लोयणपहि गयउ, नासियदोसपवाह ॥ २ ॥ अह अम् तिक्खदुक्खोह सहितत्तगत्तिर्हि, कह नाह । तुम्ह पयमंडवंतरि ।
ननिवहनिम्मरयणकिरणजालसंछाइयंवरि ॥ ३ ॥
संपल निवासु फुडमरु पहिएहिं व देव ! । जं तुह दिट्ठ मुहकमलु, खालियकम्मवलेव ॥ ४ ॥
एवं च भत्तिसाराहिं सुसिलिठ्ठाहिं मणाणंददायिणीहिं गिराहिं हरिसुप्फुल्ललोयणाहिं थोऊण पुणो पुणो निडालतडताडियधरणिवट्टाई भणिउमादत्ताई - देव ! जइ एत्तो अम्ह दारगो वा दारिगा वा तुम्ह पसाएण होजा ता इमं तुह भवणं कणयकलसकलियसिहरं थूरथंभाभिरामविसालसालापरिक्खित्तं कविसीसयस ओवसोहियं पवरपागारसंपरिग्गहियं सुसिलिठावियसालभंजिया सुंदरगोयराणुगयं कारवेमो, सयावि तुम्ह भत्तिपरायणाणि थ होमो, अणवरयं पूयामहिमं च विरएमोत्ति भणिऊण उज्जाणकीलं काऊण गयाणि सहिं । अह तेसिं भत्तिपगरि| सागरिसियहिययाए अहासन्निहियवाणमंतरीए देवयाए अणुभावेण आहूओ भद्दाए सेट्ठिणीए गन्भो, ससुप्पन्नो