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________________ -ARMADA SSC ED परिणी, सेसं पुणो कहिस्सामि विहेसु तात्र भोयणं, तो आउलहिययएणावि तदणुवित्तीए कयमणेणाहारग्गहणं, तयणंतर आयंतस्स सुहासणगयस्स निवेइयमणाए-गोभह ! तुह गयस्स कइवयदिवसावसाणे विओगदुक्खेण वा ।। तहाविहवाहिवसेण वा परिकिसियसरीराए सिवभदाए अयंडेचिय समुप्पन्ना गाढं सूलवेयणा, आउलियं सरी, ओसहेहिवि न जाओ विसेसो, गया य मुहुत्तमेचेण पंचतंति, एयं च सो आयन्निऊण विओगवजजजरिणहियो खणंतरमुच्छिओ इव विगमिऊण मुक्कपोक्कारकरुणसई रोइउं पवत्तो, समासासिओ पासवत्तिणा जणेण, कपाई अथ- 12 लोइयकिच्चाई, कालेण य जाओ अप्पसोगो । अन्नया य भणिओ लोगेहि, जहा-गोभह! कीरउ कलत्तसंगहो, विशुचउ सोगो, एसच्चिय गई संसारविलसियाणं, तेण भणियं-भो दूरमसरिसमेयं, तहाहि पढमं दबोवज्जणकएण देसंतरं गोऽहमहो । चिरकालकिलेसवसा तल्लामे नियगिहं पत्तो॥१॥ किर भुंजिस्सामि अहं इहि नियपणइणीए परियरिओ । पंचविहविसयसोक्खं निरवेक्यो सेसकजेषु ॥२॥ भवियवयावसेणं अक्काले चिय दिवं गया सावि । एवं ठियंमि अन्ना परिणिजइ केण कजेण? ॥३॥ जह सा मरणं पत्ता अहुणुबूढावि तह जइ मरेज्जा । ता होज निष्फलचिय पुणोऽवि सचेऽवि आरंभा ॥४॥ नियजीवियस्सवि कहं विस्सासो बुज्झए सयन्त्रेण ? । आगयगयाइं जं किर कुणइ व मुहमारुयमिण ॥ २९॥ संघडणविहडणापडुपरकमे निकिवे कयंतमि । सच्छंदं वियरते कत्थ व जाएज थिरवुद्धी ॥६॥ RECOLOGGESSEX बालाप
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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