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२० महा०
अह भय एवंविवइयरमुलक्खिऊन नाणेण । अंग अंगावयवं चालइ जणणीसुद्वा ॥ ११ ॥ ता तुट्टा देवी हरिसबसिरलोयणकवोला । जायं झडत्ति भवणंपि राइणो पमुइवजणोहं ॥ १२ ॥ तत्तो भवं चिंत गन्भुन्भवमेतओऽवि कह जाओ । जणणीजणगाणमहो पडिबंधो कोऽवि अगरु १ ॥१३॥ जं गन्धनिष्पकंपमेत्तेवि एरिसा विसरूवा । नियर्सवेयणगम्मा एएस दसा समावडिया ॥ १४ ॥ ज पुण जीवंते सुवि समणत्तणमहमहो पवजिस्सं । तो मम विरहेण धुवं एए जीयं चति ॥ १५ ॥ इय चिंतिऊण भयवं संतोस सजणणिजणगाणं | इयरजणाणवि एवं ठिई व लई पहुंतो ॥ १६ ॥ जीवंते अस्मापि नाहं मुणी भविस्सामि । इय गन्भगओऽवि जिणो पडिवज्जर नियमनगरुमं ॥ १७ ॥ अहसा तिसलादेवी गमकुरणसंपत्तपरमपमोया व्हाया नियंसियमहग्यचीर्णसुया सरसचंदणकथंगराया आदिपवररयणा तं गन्धं नाइउण्हेहिं नाइसीएहिं नाइतित्तेहिं नाइकडुएहिं नाइकसाएहिं नाइविलेहिं नाइमदुरेहिं । सच्चोउयसुहावहेहिं भोयणेहिं परिवालयंती पूरियडोहला निम्भया पसंता सुहेण भवणतलसमारूढा कथाह पवरनाडयपेच्छणेण कयाइ पुराणपुरिसचरियायन्नणेण कयाइ विचित्तको ऊहलावलोयणेण कथाइ सहीजणपरिहासकरणेण कयाइ उज्जाणविहारविणोएण कयाइ दुक्खियजणतवणिज्जपुंजवियरणेणं कयाइ नयरसोहानिरिक्खणेण कयाह बंधुजणसम्माणणेणं कयाइ धम्मसंवद्धकहावियारणेण दिगाई गमेइति ।
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