SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 168
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ = > - - - श्रीगुणचंदा जे पुवपुरिसवंसप्परोहगाढप्परूढमूलसमं । वेरिकुलकमलनिद्दलणकुंजरं सयलगुणनिलयं ॥१॥ | नरसिंहस्य महावीरच० पुत्तं ठविउं नियए पयंमि पडिवन्नसंजसुजोगा। इह परभवे य कह ते पाविति न निबुई पुरिसा ? ॥२॥ (जुम्म) ४ प्रस्ताव एवं च सोचा चिंतिय रन्ना-अहो दुल्लंभमेयं, जो मम एत्तियकालेऽवि पउरासुवि पणइणीसु न एकस्सवि कुलालं-12 ॥७३॥६वणस्स पुत्तस्स लामो जाओ, अच्छउ सेसं, एवं ठिए य किं करेमि? किं समाराहेमि?, कत्थ वचामि? कस्स 51 II साहेमि? को उवाओ ? के वा एरिसकजे सहाया ? को य मे पुरिसयारो ? का वा पुवकम्मपरिणइत्ति खणं किं-IAL कायचयमूढयं अणुभविय तवेलं चेव अंगीकयसत्तभावो एवं सम्मं परिभाविउं पत्तो परलोयपवत्ताणं जइवि सुएहिं न होइ साहारो । जं सर्वसय उवरिं गोवि नगओ दुहं कुणइ ॥१॥ 8 तहविय पुवनराहिवसंतइयुच्छेय दुक्खमक्खिवइ । मज्झ मणो पुवनरिंदरक्खिओ कुरुजणवओ य॥ २ ॥ (जुम्म) एत्यंतरे जायाई समुड्डियभारुडकारंडवहंसचक्कवायकुलकोलाहलाउलियाई दिसिमुहाई वियलंतषभापसरो विच्छाईभूओ तारयानियरो पसरिया सिंदुरेणुपुंजपिंजरा सूरसारहिपमा ताडियाई पडहसुरवझल्लरिभभाभेरीभंकार- ॥७३॥ भासुराई पभायमंगलवूराई समुग्गओ कमलसंडपयंडजडविच्छडखंडणुडामरकरपसरो दिणयरो, तो उठ्ठिऊण स-151 हायणिजाओ निस्सरिओ वासभवणाओ कयपाभाइयकिचो अंगरक्खपीढमद्दप्पमुहपहाणपरियणाणुगओ अत्थाणीमंडये गंतूण राया अणेगमणिकिरणविच्छुरियंमि सूरोब पुत्रपचयसिहरंमि कणयसिहासणमि निविट्ठो, तयणंतरं च ठियाओ । -- -- --
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy