________________
८-
श्रीगुणचंद
C
ता पसिय भुषणबंधव! जइवि तुम सचहा विगयरागो। नियचरणदसणणुग्गहेण मम तहवि सेयंस ! ॥ १० ॥ एवं च सुचिरं थोऊण सो तिविटुनरिंदो निविट्ठो समुचियहाणे, भगवयावि आजोयणमित्ताणुसारिणीए वाणीए देशना च,
समारद्धा धम्मदेसणा, जहा-भो भो देवाणुप्पिया! कहकहवि चिरं संसारकतारमणुपरियमाणेहिं तुम्हेहिं पा-1 ॥६॥ विओ एस मणुयजम्मो, जायं अविकलपंचिंदिअत्तणं, संपत्ता निक्कलंककुलारोगाइया सामग्गी, समुल्लसिया सद्धम्म-12
| बुद्धी, ता दुगुन्छह मिच्छत्ताविरइसंग समीहह संमत्तनाणचरित्तवित्तं पेच्छह पमायपरपाणिगणदुहविवागं अणुचि-18 तह खणदिद्वनट्टसरूवयं सव्वभावाणं विमंसह पुणो दुलहत्तणं आरियसेत्ताइलामस्सा, अन्नं च--- तुच्छेहियसुहलवमेत्तलालसा कीस वसह निस्संका । किं तुम्ह कयंतण निब्भयपत्त राय लिहियं ? ॥ १॥ किं वा केणवि अजरामरत्तणं तुम्ह दावियं ? अहवा । मरणाइदुक्खरहियं ठाणं वा कत्थविष दि? ॥२॥ अहवा सासयभावत्तकारणं किं रसायणं लद्धं ? । जेणूसुगत्तठाणेऽवि गाढभदायरा हो ॥३॥ भो भो देवाणुपिया ! सद्धम्मोवजणे समुज्जमह । परिहरह पावमित्तेहिं संगतिं दुक्खा ॥४॥ पडिवजह निरवजं पबजं देसविरइमहवावि । निसुणह पसिद्धसिद्धंतदेसगं मोहनिम्माणि ॥ ५॥ अत्तसमं पाणिगणं रक्खह पालेह सीलमकलंकं । साहम्मिएसु रजह वजह विसएषु व पविधि ॥ ६॥ निग्गुणजणं उवेक्सह अत्तुक्करिसं सयावि परिहरह । अप्पत्तपुत्रगुणगणमभस्सह नासह का५ ॥ ७ ॥
-
०८--
-
-
---
----
-
---