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________________ ( ८४ ) पुलिस का श्राडमो भेजने के कोई रोक टोक न करने के लिये, भट्टजी के नाम लिखा उस मुशाफिक इन्तजाम होगया। किशोर राजेन्द्रसूरिजी के पाट भट्टारक प्रताप राजेन्द्रसूरिजी को नियुक्त किये, जिम बारे में भट्टजी रामशङ्करजी पट दर्शना का दारोगा के नाम, राज श्री महक्सा खास का रुका नं. ३३४१३ ता. १७-११-२८ मृगसिर शुक्ला ५. स. १६५--- सिद्धश्री भट्टजी श्री रामशंकरजी जोग राज श्री महक्मा लि. अपरंच रिपोर्ट राज नं० ६७ कार्तिक शुक्ला १२ संवत् हाल लिखी जावे है कि जगदीश के चोक के मुत्तशिल वड़ा पाशाल हैं, वहाँ के भट्टारक किशोररायर्जा, आसोज सुनी ४ संवत् हाल फोत हुया वाके पीछे स्थान पर मुकर्रर होने के सिलसिले में दरियाफ्त से इनके मुंडित .शिष्य प्रतापरायजी जाहेर . आया, तथा प्रतापरायजी का चालचलन अच्छा होने की १४ शख्म महाजनान वगैरह ने तस्दीक की है, और राज की रिपोर्ट इन्ही प्रतापरायजी जो ३२ वर्ष की उम्र का होकर पूर्व जन्म से महात्मा होता जाहिर आया है, इसलिए उनकी मंजूरी बावत भट्टारक किशोररायर्जी के बजाय उनका शिष्य प्रतापरायजी को मुकर्रिर किया गया है, सो इनसे नकवलन वगैरह का इकरार लिखवाने की हस्व सरिश्ते कार्यवाही कर रिपोर्ट करे, ताके स्थान पर जो इन्तजाम है वो बरखास्तगी की कार्यवाही की जावे। ५० धर्मनारायणनी (नकल इकरारनामा) स्टाम्प नं० १३८३४ पोष शुक्ला १०.सं० १९८५ लिखता भट्टारक प्रतापराजेन्द्रसूरि सा० शहर वडी पोशाल अप्रञ्च । इस पोशाल पर मेरे गुरुजी के पीछे श्री जी ने नुझे मुकर्रर फरमाया सो मारा जैन ठिकाना की आगली मर्यादा है याने.नागा ठिकानेदारों की जो
SR No.010402
Book TitleMahatma Pad Vachi Jain Bramhano ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaktavarlal Mahatma
PublisherVaktavarlal Mahatma
Publication Year1945
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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