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(११५,
गा०
प्रा०
हिं.
१,२५--सचा
समचतरन
१०-तमचर ३.-समय
सत्ता-आत्मा के साए लगे हुये कर्माका अस्तित्व. समचतुरस सं० दुसरा हिस्सा न किया जा सके ऐसा सन्म काल
समय
२३,२४-समय
समय १५-लय
शल १-सयल सकल ३१-सयोगि
सयोगिन्द ५,१८,३२-संघयण संहनन ' ३१-संघाय संघातन
११-संजलण सम्ज्व लन १९-संजलणतिय सज्वलनसिक
सब. सयोगिफेवलिगुरु संहनननामफर्म.. संघासननामकर्म. सम्ज्वलनकपाय. संज्वलन कोष,मान और माया, संस्थाननामकर्म. सत्ता. थविरससम्यग्दृष्टिगु० पृ० १२ सम्यक्त्वमोहनीय.
संस्थान
३२,२१-संगण
२५--संत 4,14-सम्म
सत्
सम्यन्
१३,१५-सम्म
१८-सम्मर
१२,२२१-साय
सात
सातवेदनीय.
३२,३३ २,५,१५-सारण
सास्वादन
सास्वादनसम्पग्दृष्टि गु०
२९-साहार
साधारण
রাখবো