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________________ कर्मशाला परिकलन/65 चार भुजाओं वाली बहुभुज को चतुर्भुज कहते है। पांच भुजाओं वाली बहुभुज को पंचभुज कहते हैं । , " " , षटभुज , , सात " सप्तभुज , अष्टभुज नौ , , , , नौ भुज , , दस , , , , दसभुज , , ग्यारह ,, ,, , ग्यारहभुज , , बारह , , , , बारहभुज , , आठ यह साफ है कि समबाहु बहुभुज का मध्य बिन्दु दोनों वृतों का भी मध्य बिन्दु होगा जो कि बहुभुज के बाहर तथा अन्दर लगाए जाते है। यह भी साफ है कि समबाहु बहुभुज के मध्य बिन्दु से भुजा तक गिराया गया लम्ब, अदर लगाए गए व्रत की त्रिज्या है तथा बहुभुज के मध्य विन्दु तथा कोने वाले बिन्दु को मिलाने वाली सरल रेखा, बाहर लगाए गए वत की त्रिज्या है। क ल, वृत य र ल की त्रिज्या है तथा क अ, वत अब स की त्रिज्या है। AB अष्ट भुज पंच भुज उदाहरण 1. माप य के लिए, र तथा व के रूप मे समीकरण बनाओ (चित्र देखिए)। य का मान ज्ञात कीजिए जबकि र-6.25 सै० मी० तथा व-1.00 सै० मी० चित्र में, Lस-90° h O PLUG DIA KE PUG DIA अब-र+ बस- य-व सअ =र स अ =र द्वारा 3.3, बस+स अ2-अब (प-) + ( २-६.) -(र+4) -
SR No.010393
Book TitleKarmashala Parikalan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGurubachansingh Narang
PublisherHariyana Sahitya Academy Chandigarh
Publication Year1987
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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