SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 66
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कर्मशाला परिकलन/58 लाग (axb)= लाग a+लाग b 1→मेन्टीसा, 2314 उदाहरण : लाग 49.1-1.6911 .231 :.491x347 +लाग 3.47-05403 2.2314 :- 1702 1704 49.1x3.47-170.38 49.1x3.47=170.4 ab की भाग घटा में बदल जाती है 1-मेन्टीसा .8492, एण्टी लाग सारणी में देखकर | लाग ( ab)= लाग a-लाग b. उदाहरण : लाग 3.47--0.5403 .849 :3.47:49.1 -लाग 49.1 - 1.691। 2.8492 - अन्तर के कालम मे 3 लेकर 7063 :- 3 7066 3.47:49.1 = 0.07066 यहां पर 28492 करैक्टरिस्टिक 2 है। इसलिए दशमलव बिन्दू बार के नीचे जो 7066 लिखा हुआ है, .07066 लिखा जायेगा an किमी संख्या की शक्ति को बढ़ाने से संख्या जमा में बदल जायेगी लाग an -n लाग a |--मेन्टीसा .6123 एन्टोलाग सारणी में देखकर .612 : अन्तर के कालम से 3 लेकर - 4093 उदाहरण 168 लाग 16-1.2041 3. log 16-3.6123 4096 163 =4096 यहां पर 3 6123 की करैक्टरिस्टिक 3 है, इसलिए दशमलव बिन्दु 4 स्थान के बाद लगेगा 4096 nv किसी मंख्या के मूल को निकालने से भाग बदल जाती है। |→मेन्टीसा 7205 लाग सारणी लाए nva --लाग a में देखकर .720 :- 5248 - उदाहरण : लाग 145-2.1614 अन्तर के कालम 5से लेकर 6 3/145लाग 145-0.72047 n 5254 31145 -5.2534 यहां करैक्टरिस्टिक वशमलव बिन्दु से आरम्भ होती है इस लिए दशमलव बिन्दु एक स्थान के बाद लगेगा। उदाहरण हल : मान ज्ञात करो-1. 2563x1.861x0.155 . लघुगणक की सहायता से 18.75
SR No.010393
Book TitleKarmashala Parikalan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGurubachansingh Narang
PublisherHariyana Sahitya Academy Chandigarh
Publication Year1987
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy