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________________ कर्मशाला परिकलन/30 अध्याय 5 अनुपात और समानुपात अनुपात : दो व्यंजकों के बीच के सम्बन्ध (संख्याओं की मात्रा) जब वे एक ही प्रकार के हों, को अनुपात कहते है। सम्बन्ध का अर्थ है, दो व्यंजकों के बीच में तुलना । जैसे 10 और 5 के सम्बन्ध को प्रदर्शित करने के लिए हम कहेंगे 10 से 5 यानि 19-2. अनुपात को हम ऐसे भी कह सकते हैं : अनुपात 10 से 5 या 10 : 5 (और इसे 'से' (to) उच्चारण करेगे) जैसा कि भिन्न, दो व्यंजकों को एक सामान्य संख्या से गणा करने पर अनुपात नहीं बदलता। अनुपात 1 : 2 को ऐसा भी कह सकते हैं 2 : 4 या 12 : 24 या 48 : 96 इत्यादि । अनुपात और व्यंजक ज्ञात करना नियम 1. अनुपात को ज्ञात करने के लिए पहले व्यंजक को दूसरे व्यंजक से भाग देना। उदाहरण के तौर पर 6:2-? 6:2-3 जो कि अनुपात है। नियम 2. पहली संख्या ज्ञात करने के लिए दूसरी संख्या को अनुपात से गुणा करो। उदाहरण के लिए ?: 2-3 नं02 नियम की सहायता से हम 2X3-6 प्राप्त करते हैं। इसलिए पहली संख्या 6 है। नियम 3. दूसरी संख्या ज्ञात करने के लिए पहली संख्या को अनुपात से भाग करो। उदाहरण: 6:?-3 नियम 3 की सहायता से, हम 6:3-2 प्राप्त करते हैं। 2 दूसरी संख्या है । समानुपात को दो अनुपातों की समानता प्रदर्शित करना भी वह कह सकते हैं । समानुपात: 688600Dimina@isa 00000 (-)0000000000 - 12 9 3 उदाहरण के लिए, १ बराबर है 3 के और 12 वराबर है 3 के हम यहां पर दोनों अनुपात के लिए संख्या 3 ही प्राप्त करते हैं, हम इसको ऐसे भी कह सकते हैं । बराबर है 12 के या 9 : 3-12 : 4 इसको ऐसे भी लिखा जा सकता है 9:3 :: 12:4 जबकि [::] & इसका अर्थ बराबर है (इसको 'As to' उच्चारण किया जाता है) चार संख्याओं के समानुपात में, अन्त की दो संख्याओं को 'बाहरी' और मध्य वाली को 'बीच' वाली संख्या जाना जाता है।
SR No.010393
Book TitleKarmashala Parikalan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGurubachansingh Narang
PublisherHariyana Sahitya Academy Chandigarh
Publication Year1987
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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