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________________ कर्मशाला परिकलन/107 अभ्यास : एक षट भज की मिलिंग की जानी है। मिलिंग के लिए कितने चक्कर बनाने पड़ेंगे? यहां पर N = 48, ऊपर दिया गया सूत्र लगाने पर nk == 62-61 or old .. 6 पूरे चक्कर + 14 सुराख 21 वृत्त में) या 16 सुराख 24 वृत्त में) उत्तर उदाहरण 2 : 48 विभाजन के लिए आवश्यक इन्डैक्सिग करे । यहां पर N-48, ऊपर दिया गया सूत्र लगाने पर nk-- 48-5-18 या 20 , .:. 15 सुराख 18वें वृत में या 20 सुराख 24वें वृत में। उत्तर अभ्यास: सपर मीयरज के निम्नलिखित दान्ते काटने के लिए डीवाइनिग हैड को संट करो। (क) 10, (ख) 28, (ग) 30, (घ) 62 । उत्तर : (क) 4; (ख) 1 या 118 (ग) 137 (घ) : या ! 10.2 कंपाऊंड इंडक्सिग : तब प्रयोग की जाती है जब एच्छिक विभाजन मौजूद छिद्र व्रत की क्षमता से बाहर होता है। आम तौर पर इंडेक्स प्लेट को बांधा जाता है ताकि वो पलंजर, जो कि छिद्रों के किसी एक व्रत में लगा हुआ है, से न हिल सके। कंपाऊंड इडेक्सिग का सिद्धान्त एच्छिक विभाजन को दो हिस्सों में प्राप्त करना है: * आमतौर से केंक की चाल से * इंडैक्स प्लेट को घुमा कर अगली चाल जमा करना या घटाना तथा पलन्जर को बांध कर नियन्त्रित करना । कम्पाऊंड इडक्सिग के लिए सूत्र : 140 ना जबकि ना-एच्छिक विभाजन ना = कैक पिन द्वारा प्रयोग किया गया छिद्र वृत ना,-लॉक पिन द्वारा प्रयोग किया गया छिद्र वृत न. = क पिन द्वारा ना, छिद्र वृत में छिद्रों की दूरी न-प्लेट तथा केंक पिन द्वारा ना, छिद्र वृत में छिद्रों की दूरी (1) ऐच्छिक विभाजन को टुकड़ों में बांटिये । (2) कोई भी दो छिद्र वृत चुनिये । (3) एक वृत के छिद्रों की संख्या को दूसरे में से घटाइये । (4) अन्तर के टुकड़े बनाओ। (5) ऐच्छिक विभाजन के ठुकड़ों को तथा अन्तर के टुकड़ों को एक क्षैतिज रेखा पर रखो। (6) स्पिडल के एक चक्कर (40) के लिए आवश्यक केंक के लिए चक्करों के टुकड़े बनाओ तथा चुने गये छिद्र वृतों के टुकड़े बनाओ। (7) इन नये तीन टुकड़ों को क्षतिज रेखा के नीचे रखो । (8) ऊपर तथा नीचे के एक जैसे टुकड़ों को काट दीजिए । यदि रेखा के ऊपर के सभी टुकड़े रेखा के नीचे के टुकड़ों से कट जाते हैं तो चुने गये दो वृतों को इंडैक्सिग के लिए प्रयोग किया जा सकता है। यदि रेखा के ऊपर के सभी टुकड़े पूरी तरह से नहीं कट सकते तो प्रयोग हेतु हल करने के लिए दो अन्य वृत चुनने चाहिए। (9) जो टुकड़े रेखा के नीचे बगैर काटे रह जाएंगे, वृत छिद्र में दूरी मालूम करने के लिए, उनको गुणा करने पर निकाली जा सकती है जो कि दो इंडैक्सिग मूयमैंटस में चलानी है।
SR No.010393
Book TitleKarmashala Parikalan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGurubachansingh Narang
PublisherHariyana Sahitya Academy Chandigarh
Publication Year1987
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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