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तद्योपुणां वलकमलपत्तपयराइरेगरुवप्प पहासमुद थोहोरहिं सव्वत्र दीवयंतं इसिरिभर पिल्लणाविसप्पंतकंतमोहंतचारुककुहं तख सुसुकुमाललोमनिच्छविं थिरसु वद्धमंसलोव चिलभित्तसुंदरंग पिच्छड़ घणवट्ठलट्ठ उकिइविमितुपग्गतिक्वसिंगं दंतं सिवं समाणसहितनुद्धृतं वसहं यमिगुणमंगलमुहं २ ॥ ३४ ॥ वेल का वर्णन |
दूसरे स्म में त्रिशला गुणी ने बैल देखा वो बैल सफेद कमल के पन के ढेर से अधिक रूप कांति वाला अपनी प्रभा के समुद्रय ( कांति कलाप ) से चारों और प्रकाशक अति सुन्दरता से दूसरों को प्रेरणा करना हो ऐसा जिनका कुंथुआ) है और शुद्ध मुकुमाल रोमराजी से स्निग्ध चमड़ी वाला स्थिर सुवद्ध मांग से पुष्ट श्रेष्ठ यथायोग्य शरीर भाग वाला था उसके सींग घन वर्तुलाकार उत्कृष्ट उपर के भाग में तीक्ष्ण थे जिसका स्वभाव क्रूरता रहिन और जो कल्याण करने वाला यथायोग्य शोभायमान स्वच्छ दांतवाला और बहुत गुण मंगल मुखवाला वी बैल था.
तो पुणे 'हारनिकर खीरसागरससंक किरण दगरय रययमहा सेल पंडुरंगं ( ग्रं० २०० ) रमणिज्ज पिच्छीणज्जंथिरलट्टपउट्टबट्टीवर सुसिलिङ विसिद्धतिक्खदाढा विडंचियसुहं परिकम्मिद्यजञ्चकमलकोमल माणसोहंतल उट्टं रतुप्पलपत्तमउद्यसुकुमालतालु निल्ला लियग्गजीहंसागयपवरकणगतावियथावत्तायत वट्टतडियविमलसरिसनयणं विसालपीवरवरोरुं पडिपुन्नविमल मिरविसय मुद्दलक्खणपसत्य विच्छिन्न केस: राडोवसोहिथं ऊसित्रसुनिम्मित्रसुजायाफोडिअलंगूलं सोमं सोमकारं लीलायतं नहयलायो मोवयमाणं नियगवयाम
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