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सूत्र ( १३ )
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तेणं कालेणं तेणं समएणं सके देविंदे देवराया वज्जपाणी पुरंदरे सयकऊ सहस्सक्खे मघवं पागसासणे दाहिएड्ढ लोगा हिवई बत्तीसविमाणसयहस्सा हिवई एरावणवाहणे सुरिंदे अरiवरवत्यधरे लयमालमउडे नवहेमचारुचित्तचंचलकुंडलविलिहिज्ज माणगल्ले महिड्दिए महजुइए महावले महायसे महाणुभावे महासुक्खे भासुरसुंदी पलववणमालघरे सोहम्मे कप्पे सोहम्मवर्डिस विमाणे सुहम्माए सभाए सर्कमि सीहासांसि से णं तत्थ बत्तीसार विमाणवाससय साहस्सीणं, चउरासीए सामाणि साहस्तीणं, तायत्तीसाए तायत्तीसगाणं, चउरहं लोगपालाएं, अहं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिरहं परिमाणं, सत्तरहं प्रणीथाएं, सत्तरहं चणीचा हिवईणं चउण्ं चउरासीएं' आायरक्खदेवसाहस्सीणं, अन्नेसिं च बहुएं सोहम्मकणवासीणं वेमाणियाणं देवाणं देवीणं य आहेवचं पोरेवचं सामितं भट्टित्तं महत्तरगतं प्राणाईसरसेणावचं कारेमाणे पालेमाणे महयाहयनडुगीयवाह तंतीतलतालतुडियघण मुइंगपडपडहवाइ यरत्रेणं दिव्वाई भोग भोगाई भुंजमाणे विहरइ ॥ १३ ॥
सौधर्म देवलोक में इन्द्र को भगवान के दर्शन होना और उनको नमस्कार करना,
बयासी दिनों के बाद केन्द्र ( अर्थात् देवताओं का राजा इन्द्र ) हाथ में वज्र धारण करने वाला राक्षसों की नगरियों को तोड़ने वाला श्रावक की पंचम प्रतिमा की ( तप विशेष ) को १०० समय आराधन करने वाला १००० आंखों वाला ( ५०० देवता इन्द्र के मंत्री काम करने वाले हर समय उसके पास
१ बर्डसए १-२ णं