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- (१८) लित्तिया १, कोडीवरिसिया २, पंडवद्धणिया ३दासीखब्बढिया ४, थेरस्स णं अज्जसंभूयविजयस्स माढरसगुत्तस्त इमे दुवालस थेरा अंतेवासी अहावचा अभिएणाया हुत्था. तंजहा-नंदणभह १॥ उवनंदण-भद्दे २ तह तीसभह ३ जसभद्दे ४। थेरे य सुमणभद्दे ५, मणिभद्दे ६ पुण्णभद्दे ७ य ॥ १ ॥
थेरे अ थुलभद्दे ८, उज्जुमई ६ जवुनामधिज्जे १० य । थेरे अ दीहभद्दे ११ थेरे तह पंडुभद्दे १२ य ॥२॥ . . . उपर छोटी वाचना ( संक्षा से ) कही बडी (विस्तार से ) वाचना अत्र कहते हैं. ,, आर्य यशोभद्र से इस मुजब है:____ यशोभद्र के संभूतिविजय, भद्रबाहु शिष्य थे भगवाहु के चार शिष्य स्थविर गोदास, अग्निदत्त यज्ञदत्त, सोमदत्त काश्यप गोत्र के थे. गोदास से गोदास-गण निकला. उसकी चार शाखायें निकली तामलिप्सिका, कोटि वर्षि का, घुड़े वर्धनिका, दासी खर्वटिका. . -- थेरस्स णं अज्जसंभूत्रविजयस्स माढरसगुत्तस्स इमारो सत्त अंतेवासिणीश्रो प्रहावच्चा अभिएणाया हुत्था, तंजहाजक्खा १ य जक्खदिण्णा २, भूया ३ तह चेव भूयदिण्णा य ४। सेणा. ५. वेणा ६ रेणा ७, भगिणीनो थूलभद्दस्त ॥ १॥ • संभूतिविजय को १२ शिष्यः पुत्र समान थे नंद्रभद्र, उपनंदभद्र, तिष्यभद्र, यशोभद्र, सुमनोभत्र मणिभद्र, पूणभद्र, स्थूलीभद्र, रुजुमति, जंबूनामधेय, दीर्घभद्र, पांडुभद्र संभूतिविजय की सात साध्वी जो स्मूलीभद्र की भगिनिये थी वेजक्षा, जनदिन्ना, भूता, भूतदिन्ना, सेनावेणारेणा मुख्य साध्वी थीं। . . थेरस्स एं अज्जथूलभहस्स गोयमसगुत्तस्स इमे दो थेरा अंतेवासी आहावञ्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे अज्जः