________________
(१८२) एवं बुच्चइ-समणस्म भगवो महावीरस्स नव गणा, इक्कारम गणहरा हुत्या ॥३॥
स्थिविरावलि । वीर प्रभु के नवगण और ११ गणधर थे शिष्य का प्रश्न है कि ऐसा क्यों हुआ मरे तीर्थकगें में जिनने गण इनने गणधर है.
प्राचार्य उत्तर देते हैं:(१ ) इन्द्रभूति गौतम गोत्र ५०० साधु को वाचना देने थे. ( २ ) अग्निभूनि ॥ (३ ) वायुभूति , ( ४ ) आर्यव्यक्त भारद्वाज गोत्र ( ५ ) सौधर्म स्वामी अग्निवेश्यायन,, (६ ) मंडित पुत्र वाशिष्ठ (७) मौर्य पुत्र काश्यप (८) अकंपित गौतम
३०० एक (६ ) अचलभ्राता हारितायन ., ३०० वाचना. (१०) मेतार्य काडिन्न गोत्र ३०० एक (११) प्रभास
३०० वाचना.
४४०० इस बात से यह मुचन किया कि ८-6 और १-११ एक एक वाचनां देते थें उनका समुदाय साथ बैठकर पढते थे इससे नव समुदाय हुए और गणधर ११ हुए.
सब्वेवि णं एते समणस्स भगवो महावीरस्स एक्कारसवि गणहरा दुवालसंगिणो चउदसपुग्विणो समत्तगणिपिडगधारगा रायगिहे नगरे मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं काल गया जाव सम्बदुक्खप्पहीणा । थेरे इंदभूई, थेरे अज्जमुंहम्मे य मिद्धिगए महावीरे पच्छा दुरिणविथेरापरिनिव्वुया ॥
३५०