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श्रीदशाश्रुतस्कन्धे, श्रीपर्युषण कल्पाख्यं स्वामिश्रीभद्रबाहुविरचितम् -
श्रीकल्पसूत्रम्..
* मंगलाचरण नवकार मंत्र : सूत्र ( १ )
ॐ श्रीवर्द्धमानाय नमः ॥ ॐ ॥ ई ॥ नमो अरिहंताणं, नमो सिद्धाणं, नमो आयरियाणं, नमो उवज्झायाणं, नमो लोए सव्वसाहूणं || एसो पंचनंमुक्कारो, सव्वपावप्पणासणो, मंगलायं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं ॥ १ ॥
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पहिले तीर्थंकर श्री ऋषभदेवजी का और अन्तिम तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी का अर्थात् दोनों तीर्थंकरों का प्रचार एकसा है और इस समय के साधुओं को श्री महावीर स्वामी का आचार अधिक उपकारी है. इस सूत्र में तीर्थंकर गणधर सर्व का चरित्र और महान आचार्यों की पट्टावली दी है, इस वास्ते ये ग्रंथ सुनने वाले तथा सुनाने वाले को अधिक लाभ देने वाला है, * महावीर चरित्र मूल सूत्र ( २ )
तेणं कालेणं तेणं समरणं समणे भगवं महावीरे पंचहत्थुत्तरे हुत्था, तंजा, हत्थुत्तराहिं चुए - चइत्ता गन्भं वर्कते ?
१ सूत्रद्वयमेतदीय संख्यातम्