________________
( १५५ )
. कल्पसूत्र लिखाया उस समय पार्श्वनाथ के मोक्ष को १२३० वर्ष होगये थे अर्थात् महावीर और पार्श्वनाथ का निर्वाण का अंतर २५० वर्ष का है ।
रहा रिट्ठनेमी पंचचित्ते
ते काले तेणं समए हुत्था, तंजहा - चिचाहिँ चुए चइत्ता गव्भं वकते, तहेव उक्खेवो - जाव चित्ताहिं परिनिव्व ॥ १७० ॥
'
नेमिनाथ का चरित्र.
अरिष्टनेपि प्रभु के पांच कल्याणक चित्रा नक्षत्र में च्यवन' जन्म दीक्षा केवल ज्ञान और मोक्ष हुआ ।
तेलं कालेणं तेणं समए रहा रिट्ठनेमी जे से वामाणं चउत्थे मासे सत्तमे पक्खे कत्तिबहुले, तस्स एं कत्तियबहुलस्स वारसी पक्खे णं अपराजिया महाविमा - पात्रो बत्तीससागरोवमठिया यांतरं चयं चत्ता इहेब जंबुद्दीवे दीवे भार वासे सोरियपुरे नयरे समुद्द विजयस्स tout after fear देवीए पुव्वरत्तावर त्तकालसमयंसि जाव चित्ताहिं गव्भताए वक्ते, सव्वं तहेव सुमिदंसणदविपसंहरणाइयं इत्थ भणियव्वं ॥ १७९ ॥
कार्तिक वदी १२ के रोज अपराजित नामका महाविमान से ३२ सागरीपम की स्थिति पूर्णकर जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में सारीपुर नगर में समुद्र विजय राजा की शिवा देवी की कुक्षि में मध्य रात्रि में चित्रा नक्षत्र में आये राप्नो का अधिकार पूर्व की तरह जान लेना ।
तेणं कालेणं तेणं समएणं रहा रिट्ठनेमी जे सेवासाणं पढमे मासे दुचे पक्खे सावणसुद्धे, तस्स णं सावणसुस पंचमपक्से णं नवग्रहं मामाणं जाव चित्ताहिं नक्खने