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में प्रभु आाये देखकर चंढना को हर्ष हुआ प्रभु पीछे लोट तत्र श्रमु आए और अभिग्रह पूरा होने से प्रभु ने बाकुला का दान लिया देवों ने पंच दिव्य प्रकट कर महिमा किया बेड़ी के आभूषण होगये और बाल नये आगये. मृगावती रानी भी आई अपार धन की वृष्टि देखकर शतानीक धन लेने लगा इन्द्र ने रोका कि यह धन चंदना के लिये है वीर मनु की प्रथम साध्वी यह होगी दीक्षा उत्सव में धन को व्यय होगा इन्द्र चला गया जंभिका गांव में आकर इन्द्र को कहा कि इतने दिन बाद आप को केवल ज्ञान होगा.
प्रभु को महान् उपसर्ग |
टिकि गांव बहार प्रभु जब कार्योत्सर्ग में खड़े थे वहां पर त्रिपृष्ट भव का बैरी शय्या पालक जिसके कान में उष्ण गंग डाली गई थी मरकर भव भ्रमण कर गोवाल हुआ था वो बैल लेकर प्रभु के पास आकर बोला हे साथी ! इन बैलों की रक्षा करना वो चला बैल भी चले गए वो पीछा आया बैल नहीं लौटे प्रभु को पूछा के नहीं बोले तत्र उसने गुस्सा लाकर वारीक दो कीले बनाकर दोनों कान में डाल दिये और कोई न जाने इस तरह परस्पर मिला लिये म जब मध्य अपापा नगर में आये तव सिद्धार्थ वणिक के घर को गोचरी गये खरक वैद्य ने सिद्धार्थ से मिलकर चेष्टा से दुःख जानकर उद्यान मैं जाकर प्रभु के कीले निकाले संगहिणी औषधि से आराम किया वहां पर लोगों ने स्मरणार्थ मंदिर बनाया दोनों दवा करने वाले स्वर्ग में गये शय्यापालक गोवाल मर सानवीं नर्क में गया.
सव उपसगों में कठिन यह था कालचक्र जो संगम देव ने मारा था वो मध्यम था जघन्य में शीतोपसर्ग जो पृतना ने किया था वो था सव उपसर्गो को प्रभु ने समभाव से सड़न किंय.
तणं समणे भगवं महावीरे अणगारे जाए, इरियासमिए भासासमिए एमणासमिए श्रायाण मंडमत्त निक्लेवणासमिए उच्चारपासवण खेल संघाणजल्लारिट्ठावणियासमिए मणसमिए वयसमिए कायममिए मणगुते वयगुत्ते कायगुत्ते गुत्ते गुत्तिंदिए