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नंदीश्वरपूजा।
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गोता छंद। शुचि क्षोर दधि सम नीर निरमल, कनकझारीमें भरौं ।
संसारपार उतार स्वामी, जोरकर विनती करौं । सम्मेदगिरि गिरनार चपा, पावापुरी कैलासकों
पूजों सदा चौवीसजिननिर्वाण भूमिनिवासकौं ।
ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकरनिर्वाणक्षेत्रेभ्यो जलं ॥१॥ केशर कपूर सुगंध चंदन सलिल शीतलं विस्तरौं। भवपापको संताप मेटो, जोर कर विनती करौं । सम्मे ॥ ___ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकर निर्वाणक्षेत्र भ्यो चंदनं ॥ २ ॥ मोतीसमान अखंड तंदुल, अमल आनंदधरि तरौं। औगुन हरौ गुन करौ हमको,जोर कर विनती करौं । सम्मे० ___ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थकर निर्वाणक्षेत्रभ्यो अक्षतान् शुभफूलरास सुबासवासित, खेद सब मनके हरौं। दुखधाम काम विनाश मेरो, जोर कर विनती करौं ।सम्मे० ॥
ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकरनिर्वाणक्षेत्र भ्यो पुष्पं ॥ ४ ॥ नेवज अनेक प्रकार जोग मनोग धरि भय पिरिहरौं । यह भूखदूखन टार प्रभुजी, जोर कर विनती करौं ।सम्मे० ।।
ॐ हीं चतुर्विंशतितीर्थंकरनिर्वाणक्षेत्रेभ्यो नैवेद्य ॥ ५ ॥ दीपक प्रकाश उजास उजल, तिमिरसेती नहिं डरौं। संशविमोहविभरम-तमहर, जोर कर विनती करौं ॥सम्मे० ॥ ___ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकरनिर्वाणक्षेत्रेभ्यो दीपं । ६॥ शुभ धूप परम अनूप पाघन, भाव पावन आचरौं। सब करमपुज जलाय दीजे, जोर कर विनती करौं ।सम्मे० ॥