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११. जसवंत उद्योत, मुहता नैणसी री ल्यात और अनोखी मान जैसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक ग्रथो का सम्पादन एवं प्रकाशन हो चुका है ।
१२. जोधपुर के महाराजा मानसिंहजी के सचिव कविवर उदयचन्द भडारी को ४० रचनाओ का अनुसन्धान किया गया है और महाराजा मानसिंहजी की काव्य-साधना के सम्बन्ध मे भी सबसे प्रथम 'राजस्थान भारती' मे लेख प्रकाशित हुआ है । १३. जैसलमेर के अप्रकाशित १०० शिलालेखो और 'भट्टि वश प्रशस्ति' आदि अनेक अप्राप्य और अप्रकाशित ग्रथ खोज - यात्रा करके प्राप्त किये गये हैं। १४. वीकानेर के मस्तयोगी कवि ज्ञानसारजी के ग्रंथो का अनुसन्धान किया गया और ज्ञानसागर ग्रंथावली के नाम से एक ग्रंथ भी प्रकाशित हो चुका है । इसी प्रकार राजस्थान के महान विद्वान महोपाध्याय समयसुन्दर की ५६३ लघु रचनाओ का संग्रह प्रकाशित किया गया है ।
१५. इसके अतिरिक्त सस्था द्वारा
(१) डा० लुइजि पिश्रो तस्सितोरी, समयसुन्दर, पृथ्वीराज और लोकमान्य तिलक आदि साहित्य सेवियो के निर्वाण दिवस और जयन्तियां मनाई जाती हैं ।
(२) साप्ताहिक साहित्य गोष्ठियों का आयोजन बहुत समय से किया जा रहा है, इसमे अनेकों महत्वपूर्ण निवघ, लेख, कविताएं और कहानिया आदि पढ़ी जाती हैं, जिससे अनेक विष नवीन साहित्य का निर्माण होता रहता है । विचार विमर्श के लिये गोष्ठियो तथा भाषणमालाओ आदि के भी समय-समय पर आयोजन किये जाते रहे हैं ।
१६. बाहर से ख्याति प्राप्त विद्वानों को बुलाकर उनके भाषण करवाने का प्रायोजन भी किया जाता है। डा० वासुदेवशरण अग्रवाल, डा० कैलाशनाथ काटजू, राय श्रीकृष्णदास, डा० जी० रामचन्द्रम्, डा० सत्यप्रकाश, डा० डब्लू० एलेन, डा० सुनोतिकुमार चाटुर्ज्या, डा० तिबेरियो-तिवेरी आदि अनेक प्रन्तर्राष्ट्रीय स्याति प्राप्त विद्वानों के इस कार्यक्रम के अन्तर्गत भाषरण हो चुके हैं ।
गत दो वर्षों से महाकवि पृथ्वीराज राठोड़ प्रासन की स्थापना की गई है । दोनो वर्षो के आसन - अधिवेशनों के अभिभाषक क्रमशः राजस्थानी भाषा के प्रकाण्ड
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